Friday 10 August 2012

उपदेश

 उपदेश



उपदेश करने की जो सेवा है वह सबसे नीचे  दर्जे की सेवा है | संतवाणी ४/२२३

आप किसी को वह उपदेश नहीं बता सकते, जो वह नहीं जनता है | जब वह अपना ही जाना हुआ नहीं मानता, तो आपका बताया हुआ मान लेगा ?  संतवाणी ४/२२३

सही बताने का फल यह नहीं था की लोग हमारे पीछे ऐसे  चिपक जाये की पीछा ही न छोड़े | सही बताने का फल यह था का इन्हें हमारी जरुरत न रहे और जो काम हमे उनके साथ किया, वह दुसरो के साथ करने लग जाये | एक स्वाधीनता का साम्राज्य बन जाये |  संतवाणी ४/२२५

यह जो उपदेश करने वाली सेवा है, वह कम से कम की जाये | इस सेवा में मैंने बहुत कठिनाई सही है | आज भी सहनी पढती है |  संतवाणी ४/२२५

जरा सोचो, जिनके निर्णय में तुमको अविचल श्रधा नहीं है, उनके उपदेश से तुम्हारा क्या कल्याण होगा |       संतवाणी ४/२३७

सबसे बड़ा उपदेशक कौन है? जो जीवन से उपदेश करता है | वह सबसे बड़ा वक्ता है ,सबसे बड़ा पंडित है | सबसे बड़ा सुधारवादी है | और सबसे घटिया  कौन है ? जो परचर्चा करके उपदेश करता है | कभी व्यक्ति की चर्चा और कभी परिस्थतियो की चर्चा |  संतवाणी ३/५८

जो मनुष्य नेता  या प्रचारक बन जाता है या उपदेष्टा बन जाता है, उसका चित सुद्ध होना कठिन है | संत सौरभ ५३

कर्तव्य निष्ठ होने से कर्तव्य परायणता फैलती है, सम्ज्हाने  से नहीं, उपदेश करने से नहीं,शासन  करने से नहीं, भय देने से नहीं,प्रलोभन देने से नहीं |  संतवाणी ५/२५१