Friday, 17 August 2012

योग

योग


योग कब होता है ? की जब आपका शरीर  से संबंध नहीं रहता |   संत वाणी ५/२०३

राग रहित होते ही सबको योग मिल जायेगा |   संत वाणी ४/११९

भोग की रूचि रहते हुए योग की उपलब्धि संभव नहीं है |  चित शुद्धि २४७

भोग का अत्यन्त अभाव हो जाना ही वास्तव में योग है |  संत समागम १/५४

योग की शक्ति संचय होती है, तत्व साक्षात्कार  नहीं |   संत समागम १/२४९

भोग बुधि का अन्त होते ही योग बिना ही प्रयत्न  हो जाता है |   संत समागम १/२६९

योग तो शारीर विज्ञान और मनो विज्ञान- इन दोने से परे है |   संत वाणी २/३९

योग की इस परिभाषा पर गौर  कीजिये की सृष्टी का अपने लिए उपयोग करना भोग है, सृष्टी की सेवा में अपने तो त्याग देना योग है | परमात्मा को अपना मांगना योग है, परमात्मा से कुछ मांगना भोग है |    संत वाणी ७/७७

पराश्रय और परिश्रम  से रहित तथा हरी-आश्रय  और विश्राम के द्वारा जो जीवन है, वह जीवन जिसे पसंद है, वह योगी है | योग का उपाय क्या है ? हरी-आश्रय  और विश्राम |   संत वाणी ३/१२३