योग
योग कब होता है ? की जब आपका शरीर से संबंध नहीं रहता | संत वाणी ५/२०३
राग रहित होते ही सबको योग मिल जायेगा | संत वाणी ४/११९
भोग की रूचि रहते हुए योग की उपलब्धि संभव नहीं है | चित शुद्धि २४७
भोग का अत्यन्त अभाव हो जाना ही वास्तव में योग है | संत समागम १/५४
योग की शक्ति संचय होती है, तत्व साक्षात्कार नहीं | संत समागम १/२४९
भोग बुधि का अन्त होते ही योग बिना ही प्रयत्न हो जाता है | संत समागम १/२६९
योग तो शारीर विज्ञान और मनो विज्ञान- इन दोने से परे है | संत वाणी २/३९
योग की इस परिभाषा पर गौर कीजिये की सृष्टी का अपने लिए उपयोग करना भोग है, सृष्टी की सेवा में अपने तो त्याग देना योग है | परमात्मा को अपना मांगना योग है, परमात्मा से कुछ मांगना भोग है | संत वाणी ७/७७
पराश्रय और परिश्रम से रहित तथा हरी-आश्रय और विश्राम के द्वारा जो जीवन है, वह जीवन जिसे पसंद है, वह योगी है | योग का उपाय क्या है ? हरी-आश्रय और विश्राम | संत वाणी ३/१२३