कामना
कामना के रहते जिज्ञासा पूरी नहीं होती | संतवाणी ४/७३
अचाह होना जीते जी मरना है | संतवाणी ३/९४
अगर हम अचाह हो जाये और मरने से न डरे तो अमर जीवन मिलता है | संतवाणी ३/९१
कामना अगर पूरी होती है तो विधान से, कामना से नहीं | वस्तु यदि रहती है तो विधान से ममता से नहीं | संतवाणी ६/१९
जो कुछ नहीं चाहता, वही अभय होता है और दुसरो को अभय बनता है | संतवाणी ७/१३६
अपना मूल्य संसार से अधिक बढाओ, आप अचाह हो जायेंगे | संत उदबोधन ९
कामनापूर्ति में पराधीनता है, त्याग में नहीं | साधन निधि १३
किसी अभ्यास से कामनाओ का नाश नहीं होता | साधन निधि १२
संसार से संबंध है सेवा करने के लिए और परमात्मा से सम्बन्ध है प्रेम करने के लिए | न संसार से कुछ चाहिए, न परमात्मा से कुछ चाहिए | संत उदबोधन १२
हे प्यारे, तुम अपने हो ! तुमसे और कुछ नहीं चाहिए | क्यों नहीं चाहिए ? क्योकि अपनेपन से बढ़कर भी कोई और चीज होती तो हम जरुरु मांगते | जीवन पथ २८
कामना के रहते जिज्ञासा पूरी नहीं होती | संतवाणी ४/७३
अचाह होना जीते जी मरना है | संतवाणी ३/९४
अगर हम अचाह हो जाये और मरने से न डरे तो अमर जीवन मिलता है | संतवाणी ३/९१
कामना अगर पूरी होती है तो विधान से, कामना से नहीं | वस्तु यदि रहती है तो विधान से ममता से नहीं | संतवाणी ६/१९
जो कुछ नहीं चाहता, वही अभय होता है और दुसरो को अभय बनता है | संतवाणी ७/१३६
अपना मूल्य संसार से अधिक बढाओ, आप अचाह हो जायेंगे | संत उदबोधन ९
कामनापूर्ति में पराधीनता है, त्याग में नहीं | साधन निधि १३
किसी अभ्यास से कामनाओ का नाश नहीं होता | साधन निधि १२
संसार से संबंध है सेवा करने के लिए और परमात्मा से सम्बन्ध है प्रेम करने के लिए | न संसार से कुछ चाहिए, न परमात्मा से कुछ चाहिए | संत उदबोधन १२
हे प्यारे, तुम अपने हो ! तुमसे और कुछ नहीं चाहिए | क्यों नहीं चाहिए ? क्योकि अपनेपन से बढ़कर भी कोई और चीज होती तो हम जरुरु मांगते | जीवन पथ २८