Wednesday, 15 August 2012

कामना

                                                                   कामना


कामना के  रहते  जिज्ञासा  पूरी  नहीं  होती | संतवाणी ४/७३

अचाह होना जीते जी मरना है |   संतवाणी ३/९४

अगर हम अचाह हो जाये और मरने से न डरे तो अमर जीवन मिलता है |  संतवाणी ३/९१

कामना अगर पूरी होती है तो विधान से, कामना से नहीं | वस्तु यदि रहती है तो विधान से ममता से नहीं |  संतवाणी ६/१९

जो कुछ नहीं चाहता, वही अभय होता है  और दुसरो को अभय बनता है |   संतवाणी ७/१३६

अपना मूल्य संसार से अधिक बढाओ, आप  अचाह हो जायेंगे  | संत उदबोधन ९ 

कामनापूर्ति में पराधीनता है, त्याग में नहीं |  साधन निधि १३

किसी अभ्यास से कामनाओ का नाश नहीं होता |   साधन निधि १२

संसार से संबंध है सेवा करने के लिए और परमात्मा से सम्बन्ध है प्रेम करने के लिए | न संसार से कुछ चाहिए, न परमात्मा से कुछ चाहिए |  संत उदबोधन १२ 

हे प्यारे, तुम अपने हो ! तुमसे और कुछ नहीं चाहिए | क्यों नहीं चाहिए ? क्योकि अपनेपन से बढ़कर भी कोई और चीज होती तो हम जरुरु मांगते  |  जीवन पथ २८