Monday 13 August 2012

कर्तव्य

कर्तव्य


दुखी का कर्तव्य है त्याग और सुखी का कर्तव्य है सेवा |  मानवता की मूल सिद्धांत ५

दुसरे के अधिकार की रक्षा और अपने अधिकार का त्याग वास्तव में कर्तव्य है |   मानव दर्शन १५

जो किसी को भी बुरा समझता  है  तथा किसी का भी बुरा चाहता है एवं जानी हुई  बुराई करता है, वह कभी भी कर्तव्य की वास्तविकता से परिचित नहीं  हो सकता | कर्तव्य पालन से पूर्व कर्तव्य का ज्ञान अनिवार्य है | वह तभी संभव होगा, जब मानव यह स्वीकार कर ले की में किसी को बुरा नहीं समझूंगा   |  मानव दर्शन १२६

निष्काम कर्ता से ही कर्तव्य पालन होता है |  साधन निधि ११

दुसरे का कर्तव्य वही देखता है, जो अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता | उन्होंने कृपा नहीं की यह कैसे जाना? आपको जो करना है वह कर डालो |  उनको जो करना है वह स्वयं करेंगे |    संत पत्रावली १/८७

जब तक हम अपने मन की बात पूरी करते रहेंगे, तब तक कर्तव्यनिष्ठ  नहीं हो सकेंगे | कर्तव्यनिष्ठ होने के लिए हमे दुसरे के अधिकारों के रक्षा करते हुए अपने अधिकारो का त्याग  करना होगा |  जीवन दर्शन ८८

कर्तव्य पालन में असमर्थता की बात मन में तब आती है, जब हम प्राप्त सामर्थ्य का व्यय सुख भोग में करने लगते है |  चित सुद्धि  १९

अधिकार तो कर्तव्य का दास है | जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, उसको बिना अभिलाषा के भी अधिकार स्वयं प्राप्त  हो जाते है |  संत पत्रावली १/८९

कर्तव्यनिष्ठ होने पर जीवन तथा मृत्यु दोनों सरस हो जाते  है  और कर्तव्यचुय्त  होने पर जीवन नीरस तथा मृत्यु दुखद एवं भयंकर  होती है |   मानव की मांग १८२