उन्नति
शरीर उन्नति के लिए 'सदाचार' परम आवश्यक है , मानसिक उन्नति के लिए 'सेवा' परम आवश्यक है, आत्मिक उन्नति के लिए 'त्याग' परम आवश्यक है | संत समागम १/३७
आत्मिक उन्नति होने पर और किसी उन्नति की आवस्यकता नहीं रहती | संत समागम १/१३९
अगर आप भौतिक उन्नति करते है, तोह उसमे सयम,सदाचार,सेवा,त्याग और श्रम होना चाहिए | आस्तिकवाद की उन्नति ,द्रढ़ता, सरल विश्वास और शरणागति से होती है | और अध्यात्मवाद की उन्नति विचार,त्याग और निज ज्ञान के आदर से होती है | संत समागम २/८२-८३
प्रत्येक उल्जहन उन्नति का साधन है ,डरो मत | उल्जहन रहित जीवन बेकार है | संसार में उन्ही प्राणियों की उन्नति हुई है जिनके जीवन में पग पग पर उल्जहन आई है | संत समागम २/२२५
अगर तुम दुसरो के लिए बोलते हो, दुसरो के लिए सुंनते हो, दुसरो के लिए सोचते हो , दुसरो के लिए काम करते हो तोह तुम्हारी भौतिक उन्नति होती चली जाएगी | की बाधा नहीं डाल सकता | अगर तुम केवल अपने लिए सोचते हो तो दरिद्रता कभी नहीं जाएगी | संत वाणी ८/१७
मैं तोह इस नतीजे पर पंहुचा हु की हम सबका वर्तमान हम सबके विकास के हेतु है ; चाहे दुखमय है वर्तमान, चाहे सुखमय है | संत वाणी ४/९८
मनुष्य के विकास में जो प्रेम का विकास है ,वह अंतिम विकास है | स्वाधीनता दुसरे नंबर का विकास है और उदारता तीसरे नंबर का विकास है | साधन त्रिवेणी ११४
संसार हमारी आवस्यकता अनुभव करे - यह भौतिक उन्नति है |और हमे संसार की आवस्यकता न रहे यह अध्यात्मिक उन्नति है | संत वाणी (प्रश्नोत्तर) ९७