एकता
आज हम स्वरुप से एकता करने की जो कल्पना करते है, वह विवेक की दृष्टी से अपने को धोखा देना है अथवा भोली-भाली जनता को बहकाना है | मानव की मांग १४
प्रत्येक व्यक्ति,वर्ग,देश यदि दुसरो की उपयोगिता में प्राप्त वस्तु,सामर्थ्य एवं योग्यता का व्यय करे तो एक दुसरे के पूरक हो सकते है और फिर परस्पर स्नेह की एकता बड़ी ही सुगमतापूर्वक सुरक्षित रह सकती है, जो विकास का मूल है | मानव दर्शन १७२
शरीर का मिलन वास्तव में मिलन नहीं है | लक्ष्य तथा स्नेह की एकता ही सच्चा मिलन है | संत समागम २/३३६
दो व्यक्तियो के रूचि,सामर्थ्य तथा योग्यता एक नहीं है; किन्तु लक्ष्य सभी का एक है | यदि इस वैधानिक तथ्य का आदर किया जाये तो भोजन तथा साधन की भिन्नता रहने पर भी परस्पर एकता रह सकती है | मंगलमय विधान २२
अपने गुण और पराये दोष देखने से पारस्परिक एकता सुरक्षित नहीं रहती | दर्शन और निति ६४
बाह्य भिन्नता के आधार पर कर्म में भिन्नता अनिवार्य है, पर आन्तरिक एकता होने के कारण प्रीति की एकता भी अत्यंत अवश्यक है |......नेत्रों से जब देखते है, तब पैर से चलते है | दोनों की क्रियाओ में भिन्नता है, पर भिन्नता नेत्र और पैर की एकता में हेतु है | उसी प्रकार दो व्यक्तिओ में, दो वर्गों में,दो देशो में एक दुसरे की उपयोगिता के लिए भिन्नता है | मानव दर्शन १७२