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Friday, 23 March 2012

॥ हरि: शरणम्‌ !॥


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Labels: सन्तवाणी भाग-8
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स्वामी श्रीशरणानन्दजी

स्वामी श्रीशरणानन्दजी
परिचय - किसी महापुरुष की जीवनी इसलिए लिखी जाती है कि पाठकगण उससे प्रेरणा प्राप्त कर अपने जीवन को उन्नत बनाने में उसका उपयोग कर सकें। इस दृष्टि से श्री स्वामीजी महाराज की जीवनी लिखने का संकल्प परिचित मित्रों के मन में बार-बार उठता रहा है। परन्तु श्री स्वामीजी महाराज ने इस बात को कभी पसन्द नहीं किया कि उनकी जीवन-गाथा लिखी जाय। एक आदर्श शरणागत संत के रुप में आपने परमात्मा की ही महिमा को धारण करना एवं प्रकाशित करना पसन्द किया। आपने ज्ञान और प्रेम को ही दिव्य-चिन्मय तत्व के रुप में प्रकट करना पसन्द किया। अपने सीमित अहम्‌ के लेश-मात्र का भी उल्लेख आपको प्रिय नहीं था। आपकी अमर वाणी है-
(1)मेरा कुछ नहीं है,
(2)मुझे कुछ नहीं चाहिए,
(3)मैं कुछ नहीं हूँ,
(4)सर्वसमर्थ प्रभु मेरे अपने हैं,
(5)उनका (प्रभु का) प्रेम ही मेरा जीवन है ।

Pathway to Life

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क्रांतिकारी संतवाणी

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Sadhana-Spotlight by a Sant

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A Saint`s Call to Mankind

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English version of the Book Path Pradeep

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कीर्तन - "हे हृदयेश्वर, हे सर्वेश्वर......."

स्वामीजी श्रीशरणानन्दजी महाराज पुस्तकों में अपना नाम तथा चित्र प्रकाशित करने के लिए कभी अनुमति नहीं देते थे। परंतु देश, काल, परिस्थिति परिवर्तन तथा कुछ व्यावहारिक कारणों से इस Website में उनका नाम तथा चित्र दिया गया है। श्रीस्वामीजी के इस संबंध के विचार जानने के लिए इस pdf को पढ़ें ।

विलक्षण संत, विलक्षण विचार (Pdf)

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Swami Shri Sharnanandji

‘Introduction’

A master's biography is written so that the reader gets inspiration to use it to improve his/her life. Holding this view, a resolution to write a biography about Shri Swamiji Maharaj has been raised again and again in the minds of familiar friends. But Sri Swamiji Maharaj never used to like this idea that his biography to be written. As an ideal Saint surrendering himself to the divine glory chosen only to hold and publish the wisdom and divine love of almighty. He did not like even mere mentioning of traces of his limited ego. He declares his undying -
(1) I have nothing,
(2) I do not want anything
(3) I'm not.
(4) Almighty Lord is my own.
(5) Love of Almighty Lord is my life.

॥ हे मेरे नाथ! तुम प्यारे लगो, तुम प्यारे लगो! ॥

मेरे नाथ ! आप अपनी सुधामयी, सर्व समर्थ, पतितपावनी, अहैतुकी कृपा से, दु:खी प्राणियों के हृदय में, त्याग का बल एवं सुखी प्राणियोंके हृदय में, सेवा का बल प्रदान करें; जिससे वे सुख-दु:ख के बन्धन से मुक्त हो, आपके पवित्र प्रेम का आस्वादन कर, कृत्कृत्य हो जाएँ।

स्वामी श्रीशरणानन्दजी

स्वामी श्रीशरणानन्दजी

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हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको कभी भूलूँ नहीं !!!. Theme images by borchee. Powered by Blogger.