Tuesday 17 January 2012

॥ हरि: शरणम्‌ !॥

Tuesday, 17 January 2012
(माघ कृष्ण नवमी, वि.सं.-२०६८, मंगलवार)

(गत ब्लागसे आगेका)
प्रश्नोत्तरी

प्रश्न - स्वामीजी ! वैराग्य का क्या स्वरूप है और वह कैसे होता है ?
उत्तर - देखो, मनुष्य को जब वैराग्य होता है, तब सत्य की खोज के अलावा और कोई बात उसे नहीं सूझती । वह तो सबकुछ त्याग करके तत्परता से सत्य की खोज में लग जाता है । वह किसी की कुछ परवाह नहीं करता। वह अपने शारीरिक सुखों का त्याग कर देता है । जबतक सत्य की प्राप्ति नहीं होती, तबतक वह किसी भी हालत में चैन से नहीं रहता । जब मनुष्य संसार से अपना सम्बन्ध-विच्छेद कर देता है, उससे मिलनेवाले सुखों को ठुकरा देता है तथा सब का परित्याग करके सत्य की खोज के लिए निकल पड़ता है, तब संसार के प्रति उसका कुछ भी कर्तव्य शेष नहीं रह जाता है ।
        अब प्रश्न यह है कि वैराग्य की प्राप्ति कैसे हो ? जबतक जीवन में राग है, तबतक वैराग्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। वैराग्य की प्राप्ति का अचूक साधन तो अपने विवेक का आदर करना है ।  

प्रश्न - शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है ?
उत्तर - लिंग की नहीं, शिव की पूजा की जाती है । जिसकी स्वयं की कोई आकृति नहीं होती, उसमें प्रतीक की स्थापना की जाती है । "मैं" भी तो एक लिंग है । अपने में ही निराकार की स्थापना कर लो । मनुष्य तीन गुणों से बना है । कोई सत् प्रधान है, कोई रज प्रधान है, तो कोई तम प्रधान है । भगवान् राम में राजसी स्वभाव है । श्रीकृष्ण में अनन्त सौंदर्य-माधुर्य है । श्रीशिव वैराग्य प्रधान हैं, आशुतोष हैं, विचारक और गुणातीत हैं ।

प्रश्न - 'स्वधर्म' का मतलब क्या है ?
उत्तर - 'स्वधर्म' सर्वश्रेष्ठ है । स्वधर्म पालन से व्यक्ति साधन-निष्ठ हो जाता है । ज्ञानपूर्वक अनुभव करें कि सृष्टि में मेरा कुछ नहीं है । सृष्टि से सम्बन्ध तोड़ने की प्रेरणा और परमात्मा से सम्बन्ध जोड़ने की प्रेरणा 'स्वधर्म' देता है । 'स्वधर्म' का मतलब है, 'स्व' का धर्म । श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि सर्व धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आ जा ।

प्रश्न - आजकल आदमी धर्म पर क्यों नहीं चलते ?
उत्तर - भोग में रूचि रखते हैं, योग में नहीं ।

प्रश्न - आत्मा क्या है ?
उत्तर - अपने को जो अनुभव करे वह है आत्मा । आत्मा में जो बैठा हुआ है वह है परमात्मा । जो देखा जाय, वह है अनात्मा। जो माना जाय वह है परमात्मा । अतः जो अनात्मा से भिन्न है, वह है आत्मा ।  

-'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक से, (Page No. 20-21) ।